गौड़ युवा सामाजिक संगठन के तेज तरार तथा अनुभवी अधिकारी श्री मनोज गोप जी का 8 जून 2021 को एक विचार आया हुआ है जिसको हम पढ़ कर समझने की कोशिश करेंगे , तो आइए हम उनके विचारों को नीचे आराम से पढ़े :- संतोष गोप ( आप सबका छोटा भाई ) GYSS के अनुभवी अधिकारी तथा हमारे आदर्श बड़े भाईया श्री मनोज गोप जी का एक छोटा सा प्रयास को में इस ब्लॉग के माध्यम से उजागर करता हुआ । ।। आइए हम उनके विचारों पर नजर डालते हैं ।। 👇 हमारे समाज के सभी भाई-बंधुओं, सुधीजनों और विद्वानों को नमस्कार* 🙏🙏🙏🙏🙏 मै हमेशा कुछ न कुछ विषयों को लेकर आप लोगों के बीच अपनी जिज्ञासा को प्रकट करता हूँ। इससे हो सकता है किन्ही सज्जनों को मेरे शब्दों या वाक्यों से आहत पहुंचती हों। परंतु मेरा वैसा कोई इरादा नहीं होता है, बस कुछ जानकारी प्राप्त करने की जिज्ञासा मन मे जग उठती है तो आप सबों के बीच साझा कर लेता हूँ.. *मगदा समाज एक अनार्य जन...
Sarahniya ans dena bhai
ReplyDeleteआपका विचार उत्तम है भाई ।
ReplyDeleteलेकिन यह विधि विधान के बारे में जो आप बता रहे है ।
इसमें से जो उचित विधान है ।
वो है ,वेद पाठी ब्राह्मण से पूजा करना ,
शस्त्र कहता है ।नवजात शिशु भगवान का रूप होता है । उनका नामकरण गुरु से पंडित ब्राह्मण से करवाना चाहिए ,शुभ दिन शुभ नक्षत्र शुभ घड़ी देखकर करना चाहिए।
तीन चीज इंसान का बहुत महत्वपूर्ण
जन्म
जिंदगी
मृत्यु
जन्म का बताए
अब जिंदगी
इसको हम विवाह से जोड़ रहे है।
एक विवाह गंधर्व विवाह जो एक दूसरे को पसंद करते है ,भगवान को साक्षी मानकर अपने पसंद से करते है।
दूसरा शुभ विवाह
रीति रिवाज के साथ करते है सबको न्योता देते है। और पंडित
अग्नि देव ब्रह्म देव बिष्णु देव महादेव
लक्ष्मी नारायण सारे देवी देवताओं को भी वर वधू का साक्षी बनाकर इनका हवन पूजा करके इनकी अच्छे सुखी जीवन आशीर्वाद देते है।
और सभी लोग इन वर वधू को आशीर्वाद देते है।
जब गंधर्व विवाह करते है (प्रेम विवाह}
तो कोई पंडित ब्राह्मण पूजा री की जरूरत नहीं होती है ।
जब सामाजिक विवाह होती हैं। उसी में शगुन अपशगुन होती है ।
प्रेम विवाह में कोई अपशगुन नहीं होती है।
वो ज्यादा खुश भी रहते है अपनी जिंदगी में ।
जब हम जीवन के मुक्ति के द्वार पे होते है।
अर्थात मृत्यु हो जाती है ।
दसवीं ,दिन उसको अगर उसका बेटा हैै ,तो उसका बेटा पिंड दान देता है ।
अगर उसका बेटा बेटी नहीं है तो ।
उसका ज्येष्ठ भाई पिंड देता है।
अगर उसको पिंड और ब्राह्मण से श्राद्घ , नहीं करवाएंगे तो उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलेगी।
और हरि भजन कीर्तन इसीलिए किया जाता है । उस घर में जो दुख है ,हरि नाम से दूर हो जाती है।
Apko kaise PTA aatma ko Shanti nhi milti hai??
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